अम्बेडकर नगर – रक्षाबंधन का पावन पर्व इस बार जिले के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ गया, जब विद्या भारती द्वारा संचालित विवेकानन्द शिशुकुंज इंटर कॉलेज विद्युत नगर ने अपने सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों का अनुपम प्रदर्शन करते हुए एक अनोखा सामाजिक संदेश दिया। प्रधानाचार्य राम तीरथ यादव के ऊर्जावान नेतृत्व और सूझबूझ भरी योजना के तहत विद्यालय की प्रतिभाशाली बहनें – श्रेया सोनी, अंशिका चौरसिया, अनु यादव, सौम्या, श्रुति, शुभि, शिखा, अंशिका, समीक्षा, आस्था, जेनी – राखी और मिठाइयों से सजी थालियां लेकर समाज के रक्षकों के पास पहुंचीं।
सबसे पहले उनका काफ़िला थाना इब्राहिमपुर पहुंचा, जहां इस कार्यक्रम की आत्मा जैसे जीवंत हो उठी। वहां मौजूद पुलिसकर्मी न केवल कानून के रक्षक थे बल्कि बहनों की सुरक्षा की ढाल भी। माहौल भावुक हो गया, जब थाना अध्यक्ष रितेश कुमार पाण्डेय ने अपने सहज, विनम्र और करिश्माई व्यक्तित्व के साथ बहनों का स्वागत किया। पाण्डेय ने सिर्फ राखी बंधवाई नहीं, बल्कि हर बहन की आंखों में झांककर उन्हें विश्वास दिलाया – “आपकी सुरक्षा, सम्मान और मुस्कान मेरी जिम्मेदारी है। जब तक मैं इस वर्दी में हूं, आपको किसी भी परिस्थिति में डरने की आवश्यकता नहीं।”
उनकी यह बात जैसे पूरे माहौल में एक अटूट विश्वास की गूंज बनकर फैल गई। उपस्थित बहनों के चेहरे पर गर्व, आत्मविश्वास और स्नेह का मिश्रण देखने लायक था। पाण्डेय ने अपने हाथों से बहनों को उपहार भेंट किए, जो सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि प्रेम और सम्मान का प्रतीक बन गए।
इसके बाद बहनों ने चौकी एनटीपीसी और नगर पालिका कार्यालय इल्तिफ़ातगंज का रुख किया। वहां मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों की कलाइयों पर भी बहनों ने प्रेम, श्रद्धा और भाईचारे के धागे बांधते हुए समाज में एकता का संदेश फैलाया।
इस पूरे कार्यक्रम में विवेकानन्द शिशुकुंज इंटर कॉलेज की भूमिका केंद्रीय रही। यह विद्यालय सिर्फ शिक्षा देने वाला केंद्र नहीं, बल्कि संस्कार, राष्ट्रभावना और सामाजिक समरसता का जीवंत प्रतीक है। प्रधानाचार्य ने कहा – “हमारा प्रयास है कि छात्र-छात्राएं सिर्फ किताबों तक सीमित न रहें, बल्कि जीवन में मानवीय मूल्यों को अपनाएं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं।”
कार्यक्रम का संचालन और आयोजन विद्यालय परिवार के अनेक सदस्यों – इन्द्रदेव वर्मा, अरविन्द सिंह, धर्मेन्द्र, लाल बिहारी, वीरेन्द्र, राकेश पाण्डेय, अश्वनी, सर्वेश दुबे, ऊषा रानी और प्रीति – के समर्पण से संभव हुआ। सभी ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि रक्षाबंधन का यह पर्व यादगार और प्रेरणादायी बने।
कार्यक्रम के अंत में बहनों को यह संदेश दिया गया कि जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी कभी निराश न हों, हमेशा ईमानदारी, साहस और अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठा बनाए रखें। इस आयोजन ने न केवल राखी के धागों को बांधा, बल्कि दिलों को भी एक अटूट बंधन में जोड़ दिया।


