विवेकानन्द शिशु कुञ्ज स्कूल में धूमधाम से मनी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, भक्ति, रंगारंग प्रस्तुतियां और सांस्कृतिक उमंग से सराबोर रहा विद्यालय परिसर


अम्बेडकरनगर। एनटीपीसी टाण्डा स्थित विवेकानन्द शिशु कुञ्ज सीनियर सेकेंड्री स्कूल में 14 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव एवं रूप सज्जा कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर विद्यालय प्रांगण का हर कोना भक्ति गीतों, नृत्यों और रंग-बिरंगी सजावटों से जगमगा उठा। वातावरण में मृदंग, बांसुरी और ताल की धुनों के साथ भक्ति रस घुल गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाचार्य नीरज कुमार शुक्ला ने दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में त्योहार केवल उत्सव नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों को आत्मसात करने का माध्यम होते हैं। जन्माष्टमी हमें प्रेम, त्याग, साहस और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।

मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में नीलिमा जैन और विशिष्ट अतिथि के रूप में स्वदेश जैन (अपर महाप्रबंधक, एनटीपीसी टाण्डा) उपस्थित रहे। स्वदेश जैन ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण का जीवन गहन ज्ञान, अदम्य साहस और निष्काम प्रेम का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने बच्चों से आग्रह किया कि वे श्रीकृष्ण के आदर्शों को अपनाकर जीवन में सकारात्मक सोच और निडरता विकसित करें।


कार्यक्रम में बच्चों की प्रस्तुतियों ने माहौल को और भी मनमोहक बना दिया। छात्राओं आस्था गुप्ता, शान्वी पटेल, सौम्या शाह और रिद्धि ने स्वरचित और पारंपरिक भजनों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके गीतों में भक्ति और संगीत का ऐसा संगम था कि सभागार देर तक तालियों की गूंज से भर गया।

वरिष्ठ आचार्य सीताराम यादव ने मंच से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने श्रीकृष्ण के बचपन की लीलाओं, गीता के उपदेश और धर्म की स्थापना के उनके संकल्प को सरल शब्दों में विद्यार्थियों तक पहुँचाया।

इसके बाद विद्यालय की आचार्याएँ रंजना त्रिपाठी, रीना सिंह और मोनिका ने पारंपरिक सोहर गीत प्रस्तुत किए, जिनकी गूंज ने कार्यक्रम में घर जैसा अपनापन और उत्सव की मिठास घोल दी। वहीं वरिष्ठ आचार्य सुधीर पांडेय और लवकुश पांडेय ने अपनी गायकी से ऐसा भक्ति-भाव जगाया कि दर्शक भावविभोर हो उठे।

पूरे आयोजन के दौरान बच्चों में जोश और उमंग स्पष्ट झलक रही थी। विद्यालय प्रांगण में सजे झांकियों में नंदलाल के जन्म, माखन चोरी और रासलीला के दृश्य जीवंत हो उठे। सजावट में मोर पंख, फूलमालाएं, रंगोली और दीपों का संयोजन दर्शकों को बरबस आकर्षित करता रहा।

अंत में प्रधानाचार्य ने सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों, अभिभावकों और अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन बच्चों के व्यक्तित्व विकास, परंपरा से जुड़ाव और समाज में सकारात्मक ऊर्जा फैलाने के लिए अनिवार्य हैं। कार्यक्रम का समापन सामूहिक प्रसाद वितरण के साथ हुआ।

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