रसड़ा, बलिया। विजयदशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने धर्म, त्याग और संगठित राष्ट्र निर्माण के महत्व पर जोर देते हुए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। श्रीनाथ मठ स्थित अग्रवाल धर्मशाला में बुधवार को आयोजित इस कार्यक्रम में संघ के जिला बौद्धिक शिक्षण प्रमुख प्रेम प्रकाश पांडे ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया और कहा कि प्रभु राम ने संगठित शक्ति के बल पर धर्म की स्थापना की और अत्याचारी रावण का अंत किया। उन्होंने यह भी बताया कि मां दुर्गा ने महिषासुर जैसे अत्याचारी राक्षसों का वध इसी दिन किया।
प्रेम प्रकाश पांडे ने संघ के संस्थापक डॉक्टर केशव राव बलिराम हेडगेवार का उदाहरण देते हुए कहा कि वे जन्मजात देशभक्त थे और पराधीनता में जकड़े देशवासियों की पीड़ा को समझते थे। उन्होंने समाज को जाति और भाषा के भेदभाव से परे संगठित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। पांडे ने यह भी बताया कि संघ ने भारतीय संस्कृति के त्याग आधारित मूल्यों और पाश्चात्य संस्कृति के भोग आधारित दृष्टिकोण के अंतर को समझते हुए यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि विश्व के कल्याण के लिए सनातन धर्म का उत्थान आवश्यक है। उन्होंने दानवीर भामाशाह का उदाहरण देते हुए बताया कि जब त्याग की भावना को अपनाया जाता है, तो व्यक्ति इतिहास में अमर हो जाता है।
पांडे ने आगे कहा कि सन् 1925 में स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस वर्ष का कार्यक्रम इस विजयदशमी से शुरू होकर अगले वर्ष की विजयदशमी तक लगातार चलेगा। इस दौरान संघ की शाखाओं को नगरों और गांवों तक विस्तारित किया जाएगा। इस वर्ष संघ विशेष रूप से समरसता, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण और स्व का बोध – यानी पंच परिवर्तन – को पूरी शिद्दत के साथ लागू करेगा।
कार्यक्रम में महामंडलेश्वर श्रीनाथ पीठाधीश्वर कौशलेंद्र गिरी महाराज मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। नगर कार्यवाह संजय सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया। प्रार्थना विद्याभूषण और एकल गीत शिवम सोनी द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में जिला प्रचारक अनुपम, जिला व्यवस्था प्रमुख संजय, सह नगर कार्यवाह विकास वर्मा, सह जिला कुटुंब प्रबोधन श्याम कृष्ण गोयल, सह जिला व्यवस्था प्रमुख अजय सहित कई अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में उपस्थित स्वयंसेवकों ने धर्म, त्याग और संगठन की महत्ता को समझते हुए नए उत्साह के साथ संघ के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी करने का संकल्प लिया।
