गोला। गोरखपुर के बड़हलगंज क्षेत्र के महुलिया पोयल गांव में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक अयोध्या धाम से आचार्य धीरज कृष्ण शास्त्री ने कथा के दूसरे दिन बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि जैसे बुखार में 56 भोग नहीं अच्छा लगता है, वैसे ही मन में अगर पाप है तो कथा में मन नहीं लगता।
आचार्य धीरज कृष्ण शास्त्री ने भागवत के प्रथम स्कंद का रसपान कराया। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया भाद्रपद के अष्टमी को, श्रीकृष्ण जन्म का रसपान कराकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुख्य यजमान मार्कण्डेय चौरसिया ने कथा का श्रवण करने आए हुए लोगों के प्रति आभार प्रकट किया। इस अवसर पर कमलेश चौरसिया, सुरेश चौरसिया, अखिलेश चौरसिया, मुकेश चौरसिया, शशांक तिवारी, सत्य प्रकाश दुबे, कौशिक मुनि चौरसिया, जिला पंचायत सदस्य वार्ड नंबर (43) के बालचंद सोनकर, जगदीश दुबे, शक्तिमान गौड़ आदि लोग ने कथा का रसपान किया।
श्रीमद्भागवत कथा न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन के मूल्यों और सिद्धांतों को भी समझाती है। कथा के माध्यम से हम अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं और अपने अंदर की बुराइयों को दूर कर सकते हैं।
