12 साल में दूसरी बार बंद हुआ टांडा-कलवारी पुल, 90 दिन तक ठप रहेगा आवागमन

अम्बेडकरनगर। पूर्वांचल को बस्ती, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर व संतकबीरनगर जैसे जिलों से सीधा जोड़ने वाला टांडा-कलवारी पुल एक बार फिर लंबे समय के लिए बंद कर दिया गया है। घाघरा नदी पर बने इस पुल की हालत खराब होने के कारण 11 सितम्बर की मध्यरात्रि से आम वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अनुसार पुल की मरम्मत का कार्य लगभग 90 दिनों में पूरा किया जाएगा।

वर्ष 2013 में 1.19 अरब रुपये की लागत से तैयार किए गए 2231 मीटर लंबे इस पुल का लोकार्पण तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने किया था। 72 खंभों पर खड़े इस पुल को राज्य सेतु निगम ने आठ साल की मेहनत से तैयार किया था और इसे पूर्वांचल का सबसे लंबा पुल माना जाता है। इसके शुरू होने से क्षेत्र में विकास और कनेक्टिविटी को नई गति मिली, लेकिन हाईवे के लिहाज से इसकी चौड़ाई शुरू से ही अपर्याप्त महसूस की जाती रही।

पिछले 12 सालों में यह पुल कई बार क्षतिग्रस्त हो चुका है। साल 2017 में बेयरिंग टूटने से करीब 40 दिनों तक आवागमन पूरी तरह से ठप रहा। इस बार बढ़ते वाहनों के दबाव से पुल के बेयरिंग और खंभों तक क्षति पहुंची है, जिस वजह से मरम्मत अनिवार्य हो गई है।

पुल बंद होने से यात्रियों और परिवहन व्यवसायियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। टांडा से बस्ती जाने वाले लोगों को आलापुर स्थित बिड़हरघाट पुल के रास्ते घनघटा होकर जाना पड़ रहा है। वहीं बस्ती से आजमगढ़ और वाराणसी की ओर जाने वाले वाहनों को धनघटा बाजार से होकर बिड़हरघाट मार्ग अपनाना पड़ रहा है। इस कारण यात्रियों को लगभग 70 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस पुल के बार-बार क्षतिग्रस्त होने से विकास की रफ्तार पर भी असर पड़ रहा है। हालांकि एनएचआई का दावा है कि मरम्मत के बाद पुल पहले से अधिक मजबूत और सुरक्षित होगा।

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